2002 में माँ की वसीयत से पिता के दबाब में मेरे भाई स्टालिन रघुवंशी का नाम 21 साल पहले निकाल दिया गया. कम से कम मेरा और श्रुति का नाम तो लिखा गया था. कबीर कारुणिक का जन्म हो गया था. जैसे स्टालिन के बेटी का नाम नहीं लिखा था , वैसे ही कबीर का नाम भी नहीं लिखा था. हम लोग पर झूटा आरोप लगाकर हिस्से से निकाल दिया गया था . विदित है कि यह पंजीकृत वसीयत है. 2012 के वसीयत में कबीर का नाम आ गया, और उसे हिस्सा भी मिला. किन्तु स्टालिन की बेटी और स्टालिन का नाम नहीं था. किन्तु तुम हम लोगो के यादो में हो. हमारे काम के स्मृतियों में हो. स्टालिन के मृत्यु के बाद बाल मजदूरी के खिलाफ विश्व यात्रा में मनिला गया था १९९८ में ,जब कबीर का जन्म हुआ. कबीर के जन्म के बाद जब आया तो पता चला मेरे माँ के घर में एक दुखद घटना हो गयी. फिर इस बार मनिला गए थे और एक और दुखद घटना हो गयी.
अभी हाल में पिता ने एक आवेदन में 6 पुत्र का जिक्र किया. साथ रहो भाई स्टालिन. तुम्हारे न्याय का संघर्ष जारी है. मै गर्व से कहता हूँ तुम मेरे भाई थे, मस्त और बौड़म. बस मेरे साथ रहो. सत्य जीतेगा. जायजाद के भूखे हारेगे. कुटुम्ब की परम्परा जिंदाबाद. लूट की अपसंस्कृति का हो विनाश.
अभी हाल में पिता ने एक आवेदन में 6 पुत्र का जिक्र किया. साथ रहो भाई स्टालिन. तुम्हारे न्याय का संघर्ष जारी है. मै गर्व से कहता हूँ तुम मेरे भाई थे, मस्त और बौड़म. बस मेरे साथ रहो. सत्य जीतेगा. जायजाद के भूखे हारेगे. कुटुम्ब की परम्परा जिंदाबाद. लूट की अपसंस्कृति का हो विनाश.
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