Thursday, April 27, 2023

कुटुम्ब नामक संस्था को शुभ लाभ की जगह लूट का केंद्र बनाना : भाग 3


 

यह फोटो 1997 का हैं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व माननीय सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एमएन वेंकटचलैया (https://en.wikipedia.org/wiki/M._N._Venkatachaliah) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति वीएस मालिमथ (https://en.wikipedia.org/wiki/V._S._Malimath) के साथ फोटो में मेरे पिता दिख रहे है. इससे पूर्व मेरे भाई स्टालिन की अकाल मृत्यु हो गया था. मैं 1994 में घर से निकाल  दिया गया था. स्टालिन की मृत्यु पर मैंने पहल किया और मेरे खिलाफ हमले हुए. जिससे 1997  में मेरे माँ के घर का एक हिस्सा स्टालिन खंड के रूप में मानवाधिकार के कार्य के लिए दिया गया. यह हिस्से का इस्तेमाल बंद हो चूका था क्योकि एक किरायेदार के भाई ने इसी खंड में आत्महत्त्या कर लिया था. इस खंड में मैने सीढ़ी का निर्माण कराया और पानी के लिए  बोरिंग कराया. खंड को ठीक किया गया. विदित है कि 1998 में मै बाल मजदूरी के खिलाफ विश्व यात्रा में एशिया और यूरोप के देशो की यात्रा में शामिल था. कबीर भी 1998 में पैदा हुए और मै कबीर के जन्म के 20 दिन बाद विदेश से लौटा. इस पर विस्तृत चर्चा आगे करेगे. 1999 में बचपन बचाओ आन्दोलन से इस्तीफा देकर माँ के घर में रहने लगा.

   1997 में पुलिस की गोली से काशी हिन्दू विश्वविदालय के एक छात्र और श्री उपेन्द्र जी, भोजूवीर निवासी की मृत्यु हो गयी थी. मानवाधिकार जन निगरानी समिति ने उदय प्रताप कॉलेज में बालमजदूरी पर सेमिनार का आयोजन किया था. उसके बाद मेरे माँ के घर का एक हिस्सा स्टालिन खंड के रूप में मानवाधिकार के कार्य के लिए मानवाधिकार जन निगरानी समिति के कार्यालय के उद्घाटन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व माननीय सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एमएन वेंकटचलैया (https://en.wikipedia.org/wiki/M._N._Venkatachaliah) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति वीएस मालिमथ (https://en.wikipedia.org/wiki/V._S._Malimath) ने किया. बैठने के लिए कुर्सी और टेबल नहीं था, इसलिए न्यायमूर्ति द्वय जमीन पर ही बैठे. इस कार्यक्रम से माँ के घर की धमक प्रशासन और शासन में बनी. स्टालिन के केस में मदद मिली.

   फिर 2007 में ग्वांगजू अवार्ड पाने पर अपने रहने के लिए माँ और पिता के कहने पर 8 लाख में घर बनाया. अलग बिजली का मीटर लगवाया. बिजली का मीटर और घर दोनों की कागज़ पर मालकिन माँ थी. किन्तु माई ने पहली वसीयत 2002 में लिखा तो इन बातो को दरकिनार कर गलत तथ्य को लिख कर मेरा और श्रुति का नाम वसीयत से हटा दिया गया था.    

      जल्द ही अगली किश्त ....

#धौरहरा #दौलतपुर #कुटुम्बकम #वाराणसी

निम्वत किश्त भी देखे:  

कुटुम्ब नामक संस्था को शुभ लाभ की जगह लूट का केंद्र बनाना : भाग 2

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कुटुम्ब नामक संस्था को शुभ लाभ की जगह लूट का केंद्र बनाना : भाग 1

https://lenin-shruti.blogspot.com/2023/04/1.html


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