Monday, March 31, 2014

गुजरात: असलियत जो मीडिया आप तक नहीं पहुंचाता

·       दस साल में 60000 (साठ हजार) छोटे स्तर के उद्योग बंद हो गए।
·       गुजरात प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में पांचवें स्थान पर है।
·       जब भारतीय जनता पार्टी 1995 में पहली बार सत्ता में आई तब राज्य सरकार का कुल ऋण 10.000 करोड़ रुपये से कम था। गुजरात का वास्तविक ऋण 2001-02 में 45301 करोड़ से बढ़कर मोदी के शासन काल में 30 दिसम्बर 2012 तक 138948 करोड़ तक पहुँच गया है। राज्य सरकार के अनुमानित बजट के अनुसार यह ऋण 2015-16 तक 207695 करोड़ रुपये तक पहुँच जाएगा।

(स्रोत-निदेशक अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग, गुजरात सरकार)
·       कृषि वृद्धि में गुजरात आठवें स्थान पर है। कृषि क्षेत्र में गुजरात ने कभी भी 10% की वृद्धि-दर नहीं प्राप्त की। गुजरात सरकार के स्वयं के आंकड़ो के अनुसार 2005-2006 से 2010-2011 तक कृषि और संगठन क्षेत्र में वृद्धि-दर मात्र 3.44% ही रही न कि दहाई  अंको में अथवा 10%|(स्रोत-निदेशक अर्थ एवं सांख्यिकी, गुजरात सरकार एवं टाइम्स ऑफ़ इंडिया)

·       गुजरात में उर्वरक पर वैट (मूल्य सवंर्धित कर) 5% है जो भारत में अधिकतम है। (स्रोत -कृषि मंत्रालय, गुजरात सरकार)
·       गुजरात में 26 जिले है। जिनमें 225 ब्लाक है। जिसमें से 57 डार्क जोन में है।(स्रोत -कृषि मंत्रालय, गुजरात सरकार एवं नर्मदा निगम की वार्षिक रिपोर्ट)
·       मार्च 2001 से 455885 कृषि-विद्युत कनेक्शन के आवेदन लंबित है। (स्रोत -कृषि मंत्रालय गुजरात सरकार)
·       राज्य के पांच वर्ष से कम आयु के लगभग आधे बच्चें (44.6%) कुपोषण से पीडि़त है। 70% बच्चों में खून की कमी है और 40% सामान्य से कम वजन के है। (स्रोत -योजना आयोग, भारत सरकार २०१२-13)
·       गुजरात के आठ शहरों और तीन तालुका में 2894 शिक्षकों के पद खाली है।·       गुजरात के चार जिलों में लगभग 978 स्कूल 1 या 2 शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। (स्रोत -विनोद पाण्डेय द्वारा दाखिल RTI का जवाब)
·       गुजरात का स्वास्थ्य व्यय वर्ष 1990-95 के 4.25% के स्तर से गिर कर 2005-2010 की अवधि में 0.77% के स्तर पर पहुंच गया है। राज्य स्तरीय बजट में स्वास्थ्य सम्बन्धी मद में आवंटन के सन्दर्भ में गुजरात का स्थान नीचे से दूसरा है। (स्रोत - योजना आयोग भारत सरकार 2012-13 एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण)
·       एनीमिया से प्रभावित महिलाओं के मामले में 20 बड़े राज्यों में गुजरात का स्थान नीचे से 20वां है। (स्रोत-मानव विकास रिपोर्ट 2011-12)
·       कुपोषित बच्चों के मामले में गुजरात का स्थान 15वां है.(स्रोत -मानव विकास रिपोर्ट, 2011-12)
·       एनीमिया से प्रभावित बच्चों के मामले में गुजरात का स्थान 16वां है। (स्रोत -ग्लोबल हंगर पर UNDP की रिपोर्ट, 2009-12)
·       ग्रामीणी शिशु मृत्युदर में गुजरात का स्थान 14वां तथा शहरी शिशु मृत्युदर में 10वां है।·       वैश्विक भूख रिपोर्ट (2009) के अनुसार भारत के 17 बडे़ राज्यों में से 23.3 के भूख सूचकांक के साथ गुजरात का स्थान 13वां है। मध्यप्रदेश, बिहार और झारखण्ड के साथ गुजरात की खतरे की सूची वाले राज्यों में शामिल हो चुकी है।
·       आंकडे दिखाते है। कि 66% ग्रामीण घरेलू व्यक्तिओं द्वारा शौचालय के प्रयोग के मामले में राज्य का स्थान 10वां है।(स्रोत -राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण रिपोर्ट, 2011-12)
·       राष्ट्रीय जनगणना 2011 के अंतर्गत एकत्रित्र किये गये आंकडे यह प्रकट करते है कि गुजरात की कुल जनसंख्या 29% निवासी और स्वच्छ पेयजल प्राप्त करते है। लगभग 1.75% करोड़ लोगों को शुद्ध पेयजल प्राप्त नहीं होता है।(स्रोत-राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण रिपोर्ट, 2011-12)
·       गुजरात में 2001 में गरीबी 32% थी जो 2011 में 39.5% तक पहुँच गई है। प्रत्येक 100 व्यक्तिओं में 40 व्यक्ति गरीब है। राष्ट्रीय नमुना सर्वेक्षण संगठन (एन.एस.एस.ओ.) के आंकडे दिखाते है कि 2004 और 2010 के बीच गरीबी घटने का प्रतिशत गुजरात में निम्नतम था जो 8.3% था।(स्रोत - NASSO की गरीबी रिपोर्ट के आधार पर, 2012-13)
·       उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद 1958 दंगों के मामले दुबारा खोले गए हैं। गुजरात पुलिस ने मात्र 117 मामलों में गिरफ्तारियां की हैं यानी कुल मामलों का मात्र 5%|
·       गुजरात वन अधिकार अधिनियम 2006 लागू करने वाला 11वां राज्य है।(स्रोत - DNA अहमदाबाद में 03 अप्रैल, 2012 को प्रकाशित कॅालम के आधार पर)
·       गुजरात में प्रत्येक तीन दिन में एक बच्ची का बलात्कार होता है। (स्रोत- अहमदाबाद महिला संगठन, AWAG गुजरात के एक शोध के आधार पर)
·       एक दशक से गुजरात विधान सभा में डिप्टी स्पीकर का पद खाली है. (भारतीय संविधान के अनुच्छेद 178 के अनुसार यह पद अनिवार्य है।)
·       सदन एक वर्ष में लगभग 30.32 दिन ही चलता है।
·       पिछले दस वर्षो से लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हुई है।
·       गुजरात ने 3716 रोजगार मेले आयोजित किए। किन्तु गुजरात सरकार के स्वंय के आंकड़ों के अनुसार 10 लाख पढे़ लिखे युवा बेरोजगार है। और कुल 30 लाख लोग बेजोजगार है।(स्रोत- NASSO की रिपोर्ट, GOI)
·       राष्ट्रीय नमूना हैं सर्वेक्षण संगठन (एन.एस.एस.ओ.) के आंकड़ों प्रदर्शित करते हैं कि पिछले 12 वर्षों से रोजगार वृद्धि की दर लगभग शून्य हैं।
·       राज्य के खातों के संदर्भ में कैग की हाल की समीक्षा आंख खोलने वाली साबित हुई है। आरोप है कि वहां 16706.99  करोड़ रुपए की वित्तीय और विकास के मोर्चो पर नकारात्मक प्रभाव।
·       UNDP ने विभिन्न  राज्यों में कार्य करने के दौरान यह पाया कि आसाम, उ0प्र0, पश्चिम बंगाल समेत गुजरात में मुस्लिमों में गरीबी प्रतिशत बहुत अधिक है।(स्रोत- UNDP मानव विकास की रिपोर्ट UN, 2011-12)

http://navbharattimes.indiatimes.com/election-news/gujarat-pulls-economic-data-from-website/election2014articleshow/32911093.cms

गुजरात ने वेबसाइटों से डेटा हटाया

बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी की सरकार वाले राज्य गुजरात की आधिकारिक वेबसाइट पर दिया गया आर्थिक डेटा हटा लिया गया है। सरकार के मुताबिक ऐसा चुनाव आचार संहिता के कारण किया गया है, हालांकि ऐसा आचार संहिता में स्पष्ट तौर पर कहीं नहीं लिखा है लेकिन राज्य के अधिकारी इसके लिए नैतिक मूल्यों का हवाला दे रहे हैं।


आर्थिक अखबार मिंट ने इस बारे में एक खबर छापी है। खबर के मुताबिक राज्य के बजट, जनगणना और आर्थिक विकास से जुड़े आंकड़े साइटों से हटा लिए गए हैं। मिंट ने राज्य के आर्थिक सांख्यिकी विभाग के निदेशक आर. एन. पंड्या के हवाले से लिखा है, 'इन आंकडों को उपलब्ध रखना चुनाव आयोग की आचार संहिता का उल्लंघन हो सकता है।'

आचार संहिता में नहीं बताया गया है कि किस चीज को हटाना है और किस चीज को नहीं, लेकिन पंड्या कहते हैं कि यह नैतिक मूल्यों की तरह है, साफ-साफ कहीं कुछ नहीं लिखा होता।

नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में गुजरात के विकास की खूब मिसाल देते हैं। लेकिन हाल के दिनों में गुजरात के विकास पर कई सवाल उठाए गए हैं। इन सवालों का आधार राज्य की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा को ही बनाया गया है। मसलन, आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने गुजरात यात्रा के दौरान और उसके बाद भी राज्य की सरकारी वेबसाइटों पर दिए गए कई आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा था कि नरेंद्र मोदी गलतबयानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि राज्य में कि नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि गुजरात में कृषि विकास दर 11 फीसदी जबकि उनकी अपनी वेबसाइट के मुताबिक यह -1.18 फीसदी है।

वैसे सर्च इंजिन के जरिए गुजरात सरकार की रिपोर्ट्स खोजी जा सकती हैं क्योंकि वहां इनकी कैश फाइल्स उपलब्ध हैं, लेकिन डेटा को ब्लॉक करने वाला गुजरात देश का पहला राज्य है।


Varanasi activists seek inclusion of water security in poll agenda of parties


"We want a promise from all political parties for water security as it is more important than the food," he said, who is coordinating with activists across the country to push a water security bill. "In view of increasing water crisis it is need of the hour to rope in people for the conservation of water bodies," said Sanjay Singh, the convener of Jal-Jan Jodo campaign. Lenin Raghuvanshi of PVCHR said, "The issue of water security should be one of the important poll planks for all political parties."

Saturday, March 29, 2014

Indian activist: Narendra Modi and Arwind Kejriwal, as dangerous as "Hitler and Mussolini"


Indian activist: Narendra Modi and Arwind Kejriwal, as dangerous as "Hitler and Mussolini"

by Nirmala Carvalho
For Lenin Raghuvanshi, activist for development of Dalits , Modi (BJP Hindu nationalist party ) and Kejriwal (AAP, anti-corruption party) " are trying to destroy the pluralistic fabric of Varanasi from different political positions". The two leaders have chosen to run for election in city.

Wednesday, March 12, 2014

भारतीय महिला मुक्ति दिवस

सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर नवदलित महिला सम्मेलन में महिलाओ की एवं महिला अधिकारों के लिए कटिबद्ध पुरुषो की व्यापक एकता की पैरवी की जरूरत महसूस की गयी बिना इनकी एकता के महिला मानवाधिकारों की स्थापना संभव नहीं है | सम्मेलन में महिला हिंसा के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रखने और निडर होकर उनके खिलाफ आवाज उठाने के लिए 2 महिलाओं व 1 पुरुष को दलित महिलाओं के अधिकारों के समर्थन और सतत संघर्ष में अतुलनीय योगदान के लिए जनमित्र सम्मान से सम्मानित किया गया |

वाराणसी, सावित्री बाई फूले महिला पंचायत एवं मानवाधिकार जननिगरानी समिति/जनमित्र न्यास द्वारा वाराणसी के मलदहिया स्थित सरदार पटेल धर्मशाला में सावित्री बाई फुले की पुण्यतिथि 10 मार्च को भारतीय महिला मुक्ति दिवस के रूप में मनाया | सावित्री बाई फुले भारत की पहली शिक्षित महिला रही जिन्होंने अपने पति ज्योति बा फुले से शिक्षा ग्रहण कर लडकियों के लिए पहला स्कूल खोला (सन1848 में) लडकियों को शिक्षा देने के साथ साथ उन्होंने परित्यागता, विधवा, एकल महिलाओं के अधिकारो के लिए आवाज उठाई और पितृसत्तात्मक सामन्ती व्यवस्था को चुनौती देते हुए महिला अधिकारों की सशक्त पैरवी की | भारत में लडकियों के लिए शिक्षा की अलख जगाने और महिलाओं के मानवीय गरिमा और सम्मान की पैरोकार सावित्री बाई फुले की पुण्यतिथि को भारतीय महिला मुक्ति दिवस के रूप में मनाकर हम उनके संघर्षों को याद करते हुए संकल्प लेते कि महिलाओं के सशक्तिकरण एवं समग्र विकास के लिए सतत संघर्ष जारी रखेंगे | इसी क्रम में बदलते परिवेश में महिला अधिकारों की पुरजोर पैरवी के लिए पिछले एक पखवारा में अभियान चलाकर विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के साथ कई अलग-अलग बैठकें, रैली सभाए की गयी | आज 10 मार्च को भारतीय महिला मुक्ति दिवस पर नवदलित महिला सम्मेलन किया गया जिसमें वाराणसी सहित पूर्वांचल के विभिन्न जिलो इलाहाबाद, सोनभद्र, चंदौली, जौनपुर, मिर्जापुर से लगभग 300 से अधिक महिलाये शामिल हुई |

कार्यक्रम की शुरुआत में विषय प्रवर्तन करते हुए सावित्री बाई फूले महिला पंचायत के संयोजिका श्रुति नागवंशी ने कहा कि हम पुरुषसत्तात्मक सोच के खिलाफ है, किसी पुरुष के नहीं | भारत ही नहीं पूरी दुनिया में महिलाओं के साथ दोयम दर्जे के नागरिको जैसा व्यवहार किया जाता रहा है | उनके साथ हिंसा के विभिन्न वीभत्स रूप लगातार सामने आते रहे है | माहौल चाहे युद्ध का हो या शांति का, दमन का शिकार तो हमेशा महिलाए ही होती है | वे कही भी सुरक्षित नहीं है चाहे घर हो या बाहर क्योकि हमार समाज पुरुषसत्तात्मक व मनुवादी विचारो का पोषक है जिसके कारण सामान्य वर्ग की महिलाए जहाँ लिंग आधारित भेद भाव का शिकार है वहीं पर दलित महिलाये तीन प्रकार के दमन का शिकार होती है – जाति आधारित निम्न स्तरीयकरण के कारण, गरीबी के कारण और पितृसत्ता मूल्यों के कारण| जातिवादी, साम्प्रदायिक फाँसीवाद और नवउदारवादी नीतियों के कारण टूटी हुई महिलाओ की एवं महिला अधिकारों के लिए कटिबद्ध पुरुषो की व्यापक एकता के बिना महिला मानवाधिकारों की स्थापना संभव नहीं है |

काशी विद्यापीठ की उर्दू विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर शाईना रिजवी जी ने कहा कि अपने श्रम और हुनर से समाज का विकास करने एवं उसे सजाने सवारने में अपना योगदान देने वाली सभी जाती और धर्म की महिलाओ को कोइ अधिकार नहीं प्राप्त है उल्टे उनकी हाशिये की स्थित का भी फायदा उठाकर पुरुष समाज अपने आप पर गौरान्वित महसूस करता है | इन समुदायों से सम्बद्ध महिलाओ के साथ इतने बड़ी संख्या में अधिकार हनन और हिंसा की घटनाये होती है लेकिन पुलिस प्रशासन और न्याय व्यवस्था के भी पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण के करण बहुत कम अपराधियों को ही सजा मिल पाता है| जिसके कारण महिलाओ पर शोषण और अत्याचार करने वाले पुरुष समाज के लोगो का मनोबल हमेंशा ऊँचा रहता है |

काशी विद्यापीठ की समाज कार्य विभाग की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डा0 भावना वर्मा ने कहा कि एक तरफ तो स्वतंत्र समाज में ही केवल महिलाओ की स्थिति खराब ही नहीं बद्दतर है बल्कि जेलों में बंद महिलाओ की स्थिति और भी बद्दतर है | जेलों में बंद ये महिलाएं क़ानूनी मदद के आभाव में लम्बे समय तक अपने परिवारों से दूर रहने को बाध्य हैं | कई महिलाएं जिनके साथ उनके छोटे बच्चे भी जेलों में ही है और जरूरी देखभाल और परिवार से दूर अपना बचपन बिताने को विवश हैं | एक बार जेल गयी महिला को अपने ही परिवार और समाज से बहिष्कार का दंश झेलना पड़ता है |

इसी कड़ी में आगे मानवाधिकार जननिगरानी समिति के महासचिव डा0 लेनिन ने कहा कि इतिहास हमें बताता है कि महिलाओ का केवल शोषण नहीं हुआ है बल्कि उन्हें पुरुषवादियों द्वारा हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है, चाणक्य द्वारा विषकन्या बनाने की कहानी यही कहती है | आज सभी महिलाये एवं महिला अधिकारों के लिए संघर्षशील पुरुष बलात्कार की संस्कृति के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे है क्योकि पुरुषवादी मानसिकता से ग्रसित साम्प्रदायिक फांसीवाद पर हम सवाल खडा कर सके | जब इस्लामी साम्प्रदायिक फांसीवादी ताकतें मलाला को लड़कियों को शिक्षा देने की पैरवी करने से नाराज होकर गोली मार सकते है वही दूसरी तरफ हिन्दू सांप्रदायिक फांसीवाद ताकतों के दिशानिर्देशक संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने निर्णय लेने वाली कमेटी में आज भी महिलाओ को भागीदारी नहीं दे सका है |

सम्मेलन के अगले क्रम में मानवाधिकार जननिगरानी समिति की प्रोग्राम डायरेक्टर शिरीन शबाना खान ने कहा कि बलात्कार की घटना महिला के विकास को सीमा में बांधने उसे सबक सिखाने उसके अस्तित्व को कुचल देने की मंशा से किया जा रहा है | समाज में महिला या पुरुष में से किसी के भी द्वारा किसी भी प्रकार के शोषण, अत्याचार, गैरबराबरी के खिलाफ आवाज उठाने पर न सिर्फ महिला को सबक सिखाने बल्कि उस पूरी विरादरी को अपने विरोध के लिए सबक सिखाने की मंशा से किया जा रहा है | आज समाज में बलात्कार की पीड़ित को ही दोषी बनाकर उसके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है| आज ऐसी पीड़ित महिला को अस्पताल से लेकर थानों तक और उसके बाद न्यायालय में भी पितृसत्तात्मक सोच के कारण बार बार जलालत झेलनी पड़ती है | बहुत सी रेप की घटनाए तो इसलिए सामने नहीं आती है क्योकि समाज उन महिलाओ को ही दोषी करार देता है और फिर उनका सामजिक अस्तित्व ख़त्म हो जाता है इसलिए महिलाये चुप रह जाती है |

इसी कड़ी में मानवधिकार जननिगरानी समिति के वरिष्ठ कार्यकर्ता मंगला प्रसाद ने कहा कि आज भी महिलाओ के स्वास्थ्य की स्थिति बहुत ख़राब है, सरकार द्वारा कई सरकारी योजनाये संचालित की है लेकिन वास्तविकता तो यह है कि यह सेवाओ तक उनकी पहुचं ही नहीं है | इसका सबसे बड़ा उदाहरण NRHM योजना है | जिसमे महिलाओ के लिए विभिन्न लाभकारी सेवाओ का प्राविधान है लेकिन महिलाओ को इस सन्दर्भ में कोई जानकारी ही नहीं है | स्वास्थ्य देखभाल सेवाओ को महिलाओं तक पहुचाने में लगे स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी जातिवादी सोच का शिकार होते हैं | जिसके कारण वे दलित, पिछड़ी, आदिवासी महिलाओं तक इन सेवाओ को पहुचाने में भेदभाव करते है | परिणामस्वरूप आज भी मात्री मृत्यु की दर में बहुत कमी नही आई है | महिलाए किशोरिया खून की कमी, न्यून पोषण से पीड़ित हैं |

ग्राम्या संस्था की सचिव सुश्री बिंदु सिंह ने कहा कि महिलाओ को चौतरफा हिंसा का शिकार होना पड़ता है एक तो महिला होने के नाते वह दोयम दर्जे की जिन्दगी जीने को मजबूर है और वही उसे जाति विशेष का होने के कारण यह यातना और ज्यादा झेलनी पड़ती है | आज महिलाये सुरक्षित नहीं है लेकिन सबसे ज्यादा जो जाति में पिछड़ी, दलित है वो और ज्यादा असुरक्षित है | विभिन्न सर्वे के आंकड़े यह बताते है कि ज्यादातर महिला हिंसा के केस गाँव में ही होते है और वो भी दलित, पिछड़ी जातियों की महिलाओ के साथ | जब कोइ महिला अपने ऊपर हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती है तो उसे पहले उसके महिला होने के नाते रोका जाता है फिर उसके जाति विशेष होने के नाते रोका जाता है | जो भी न्याय दिलाने की इकाई है वह सभी मिलकर ऐसी महिलाओ की आवाज को दबाने का काम करते है |

सम्मेलन में महिला हिंसा के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रखने और निडर होकर उनके खिलाफ आवाज उठाने के लिए सावित्री बाई फूले महिला पंचायत एवं मानवाधिकार जननिगरानी समिति ने सोनभद्र की तेरह वर्षीय कंचन और साहस के साथ संघर्ष करते हुए मृतक मनीषा के माता-पिता श्री. रामजतन एवं आशा और चंदौली के मावन अधिकार कार्यकर्ता श्री. रामप्रसाद भारती को दलित महिलाओं के अधिकारों के समर्थन और सतत संघर्ष में अतुलनीय योगदान के लिए जनमित्र से सम्मानित किया | इस कार्यक्रम में कंचन और मनीषा के परिवार को यातना के विरोध में संघर्ष जारी रखने के लिए रुपये 5000-5000 का आर्थिक सहयोग दिया गया

इस कार्यक्रम में विभिन्न स्तरों पर महिलाओ के साथ की गयी बैठकों व उनसे चर्चा परिचर्चा के बाद महिलाओ की निकली समस्याओं के समाधान हेतु ज्ञापन तैयार किया गया जिसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व U N Women Cell व सभी सांसदों को भेजा जाएगा |
कार्यक्रम का संचालन सावित्री बाई फूले महिला पंचायत की संयोजिका श्रुति ने किया | धन्यवाद ज्ञापन सावित्री बाई फूले महिला पंचायत की सदस्या फरहत शबा खानम ने दिया |


Post by PVCHR.

Saturday, March 1, 2014

Watch Satymew Jayate

Dear Friends,

Greetings from PVCHR

PVCHR is glad to share that Satyamev Jayte session - II is going to start on 2 March, 2014 at 11 am on various social issues. Please don’t miss and watch five episodes on each Sunday of March to listen the few real voices of India.

Satyamev Jayate (English: Truth Alone Prevails) is an Indian television talk show that aired on various channels within Star Network along with Doordarshan's DD National.

Satyamev Jayate is the first show of Indian television which aired simultaneously on a private channel network STAR and a national broadcaster Doordarshan. The first session show was dubbed in several languages including three southern Indian languages viz., Malayalam, Tamil and Telugu, along with Bengali and Marathi. Apart from Star Plus, the show was simulcast on STAR World (with English Subtitles), STAR Utsav, STAR Pravah, STAR Jalsha, Asianet and STAR Vijay within the STAR Network and other channels including DD National and Eenadu TV. Besides India, the show aired in over 100 countries around the world. http://en.wikipedia.org/wiki/Satyamev_Jayate_(TV_series)

If you miss to watch the show on television then please visit Satyamev Jayte website www.satyamevjayate.in