https://junputh.com/column/chawky-frenn-in-benares-and-the-indian-context-of-his-paintings/
“हम, भारत के (खारिज) लोग” : चावकी फ्रेण की कला और जनतंत्र पर पूंजी के ग्रहण की छवियां
आज के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में हो रहे परिवर्तनों ने एक गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है: क्या सत्ता का उपयोग समाज की बेहतरी के लिए हो रहा है, या यह केवल सत्ता-संचालन और नियंत्रण का माध्यम बनकर रह गई है?
इसी संदर्भ में, चावकी फ्रेण की प्रदर्शनी “We the (Discarded) People: Welfare or Warfare?” इस मुद्दे पर गहराई और तीव्रता से प्रकाश डालती है। यह प्रदर्शनी केवल कला का प्रदर्शन नहीं, बल्कि समाज और मानव अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का एक सशक्त प्रयास है।

चावकी फ्रेण की कला: विद्रोह और परिवर्तन का माध्यम
लेबनानी-अमेरिकी कलाकार और फुलब्राइट विद्वान चावकी फ्रेण अपने कला कार्यों में सामाजिक और राजनीतिक अन्याय को उजागर करते हैं। उनकी प्रदर्शनी तीन मुख्य विषयों में विभाजित है, जो उनके जीवन और विचारधारा का प्रतिबिंब हैं:
1. लोकतंत्र और पूंजी का प्रभाव
यह खंड इस बात की ओर इशारा करता है कि कैसे बड़े कॉर्पोरेट और पूंजीवादी ताकतें लोकतंत्र की मूल अवधारणाओं को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करती हैं। फ्रेण के अनुसार, “जनता का, जनता के लिए, और जनता द्वारा” का सिद्धांत अब “पूंजी का, पूंजी के लिए, और पूंजी द्वारा” में बदल गया है। उनके चित्र दिखाते हैं कि नीतियां और फैसले केवल कॉर्पोरेट हितों के लिए लिए जाते हैं।

2. युद्ध और सत्य का दमन
फ्रेण के चित्र यह उजागर करते हैं कि युद्ध अब केवल राजनीतिक हथियार नहीं, बल्कि आर्थिक फायदे का माध्यम बन गए हैं। तकनीकी उपकरण, गहरी फेक (deepfake) और गलत सूचनाओं के माध्यम से सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जाता है। उनका मानना है कि युद्ध के कारण न केवल लाखों लोग विस्थापित हो जाते हैं, बल्कि यह समाज के ताने-बाने को भी कमजोर कर देता है।

3. मानव अधिकारों के लिए संघर्ष
यह खंड विस्थापितों, प्रवासियों और उन लोगों की कहानियों को प्रस्तुत करता है, जिन्हें समाज द्वारा नजरअंदाज किया गया है। फ्रेण की कला उन हाशिये पर खड़े समुदायों की आवाज को मुख्यधारा में लाने का प्रयास करती है, जिनके अधिकार और पहचान छीन ली गई हैं।

प्रदर्शनी का अनुभव
19 दिसंबर 2024 को मैंने श्री अजितेश राय के साथ भारत कला भवन में इस प्रदर्शनी का दौरा किया। इसके बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में “Visual Voices for Peace” प्रदर्शनी देखी, जो छात्रों की पाँच महीने की मेहनत का नतीजा थी। इस प्रदर्शनी ने कला के माध्यम से शांति और न्याय का संदेश जीवंत किया।


फ्रेण के कार्य केवल सतही कहानियाँ नहीं बताते; वे छिपे हुए आख्यानों को उजागर करते हैं — सत्ता, हिंसा, और दमन की उन परतों को, जो केवल कुछ लोगों को विशेषाधिकार देती हैं। उनके अनुसार, “हम भारत के लोग” और अमेरिकी संविधान के “We the People” के आदर्शों में समानता है, जो स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व को व्यक्त करते हैं।
चावकी फ्रेण के अनुसार, कला केवल सौंदर्य का माध्यम नहीं है; यह समाज में बदलाव लाने का एक शक्तिशाली साधन है। उनकी पेंटिंग्स दर्शकों को केवल देखने के लिए आमंत्रित नहीं करतीं, बल्कि उन्हें सोचने और कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं।
फ्रेण के चित्र दिखाते हैं कि कैसे पूंजीवादी ताकतें लोकतंत्र को कमजोर कर रही हैं। उदाहरण के लिए, जब बड़े उद्योग अपनी योजनाओं के लिए जंगलों को काटते हैं या विस्थापन को अंजाम देते हैं, तब यह लोकतंत्र की मूल अवधारणा के विरुद्ध होता है। इसके अलावा, चुनावों में बड़े पैमाने पर धन का उपयोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
फ्रेण के चित्र यह दिखाते हैं कि युद्ध किस प्रकार सत्ता और धन संचय का साधन बन गए हैं। उनके चित्र विस्थापन और युद्ध के दर्द को गहराई से महसूस कराते हैं।
फ्रेण की कला उन समुदायों की आवाज़ को उजागर करती है, जिन्हें समाज द्वारा त्याग दिया गया है। प्रवासी मजदूरों, विस्थापितों, और शरणार्थियों की पीड़ा उनकी पेंटिंग्स में झलकती है।







भारत में प्रासंगिकता
फ्रेण की प्रदर्शनी भारतीय संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है। जाति व्यवस्था, धार्मिक भेदभाव, और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दे भारतीय समाज को गहराई से प्रभावित करते हैं। उनकी कला हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम वास्तव में एक न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज की ओर बढ़ रहे हैं, या केवल खोखले आदर्शों का पालन कर रहे हैं।
“We the (Discarded) People” की प्रासंगिकता
चावकी फ्रेण के कार्य केवल अमेरिकी समाज तक सीमित नहीं हैं। उनकी कला वैश्विक मानवता की साझा समस्याओं — पूंजीवाद, युद्ध, और मानवाधिकारों की उपेक्षा — को उजागर करती है। उनकी प्रदर्शनी का उद्देश्य समाज में न्याय और शांति की स्थापना करना है।
फ्रेण के अनुसार, “We the People” केवल एक वाक्यांश नहीं है, बल्कि यह एक सार्वभौमिक मूल्य है, जो सभी देशों और समुदायों पर लागू होता है। उनकी पेंटिंग्स में यह दिखाया गया है कि कैसे शक्तिशाली लोग कमजोर समुदायों को हाशिये पर धकेलते हैं।
चावकी फ्रेण की प्रदर्शनी एक गहरी दृष्टि प्रदान करती है, जो मानवता के लिए न्याय और शांति की आवश्यकता पर बल देती है। उनकी कला हमें यह याद दिलाती है कि कला केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज में परिवर्तन लाने का एक सशक्त साधन हो सकती है।
चावकी फ्रेण की प्रदर्शनी “We the (Discarded) People” हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम वास्तव में उस समाज की ओर बढ़ रहे हैं, जिसका सपना हमारे संविधान में देखा गया था। जब तक हम इन सवालों का सामना नहीं करते और उनके समाधान की दिशा में कार्य नहीं करते, तब तक समाज में वास्तविक बदलाव संभव नहीं है।

No comments:
Post a Comment