धन-धान्य, सुख-समृद्धि के लिए शुक्रवार का व्रत — संमार्ग के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख
02 दिसंबर 2025 को संमार्ग हिंदी समाचारपत्र के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित।
भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं में शुक्रवार का दिन विशेष रूप से माँ लक्ष्मी को समर्पित माना गया है। यह दिन धन, सौभाग्य, सुख और समृद्धि की प्राप्ति का प्रतीक है। संमार्ग के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित इस लेख में शुक्रवार के व्रत के महत्व, इसकी उपयोगिता और इसे करने की विधि पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है।
शुक्रवार के व्रत का महत्व
शुक्रवार का संबंध सीधे माँ महालक्ष्मी से माना जाता है। विश्वास है कि यदि यह व्रत श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए, तो जीवन में आर्थिक स्थिरता आती है और गृहस्थ जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
यह व्रत मानसिक शांति, दाम्पत्य-सौहार्द और मनोकामना-पूर्ति के लिए भी अत्यंत उपयोगी माना गया है।
कैसे करें शुक्रवार का व्रत?
1. सुबह की तैयारी:
स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और पूजा-स्थान को सजाएं। देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।
2. शुभ रंग:
व्रत के दौरान सफेद, गुलाबी या हल्के रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना गया है।
3. प्रसाद:
खीर, पूड़ी-हलवा या कोई भी मीठा पकवान प्रसाद के रूप में अर्पित करें।
4. मंत्र-जाप:
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप विशेष लाभकारी माना जाता है।
5. शाम की आरती:
शाम को पुनः दीपक जलाकर माँ लक्ष्मी की आरती करें और व्रत का संकल्प पूर्ण करें।
व्रत करने से प्राप्त होने वाले लाभ
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धन और संसाधनों में वृद्धि
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पारिवारिक खुशहाली और सौहार्द
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दाम्पत्य जीवन में मधुरता
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मन की शांति और आत्मविश्वास
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कार्यों की सिद्धि और बाधाओं का निवारण
कौन कर सकता है यह व्रत?
शुक्रवार का व्रत किसी भी व्यक्ति के लिए उपयुक्त है—चाहे गृहस्थ हों, विद्यार्थी हों, व्यापारी हों या जीवन में स्थिरता और समृद्धि की आकांक्षा रखने वाले।


