Thursday, April 20, 2023

Article of Vijay Vineet on G 20 at India

 आयरलैड, वार्सलोना और लंदन के विश्वविद्यालयों में लोकतंत्र और मानवाधिकार पर कई मर्तबा व्याख्यान दे चुके बनारस के एक्टविस्ट डा.लेनिन कहते हैं, "जब यूक्रेन और रूस का युद्ध हो रहा हो और उसे रोकने में जी-20 कोई प्रभावी कदम नहीं उठा पा रहा है तो ऐसे सम्मेलन की आखिर उपयोगिता ही क्या है? भारत सरकार ने जी-20 की रोटेशन से मिली मेजबानी को भले ही देश की जनता के सामने अपनी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया है, जबकि इंडोनेशिया के बाली में हुए जी-20 के पिछले शिखर सम्मेलन में ही यह साफ हो गया था कि इस मंच से अब कुछ हासिल नहीं हो सकता है। जी-20 की मेजबानी को लेकर भारत में सनसनी पैदा करने की कोशिश की जा रही है और ऐसे माहौल को लगातार बनाए रखा जा रहा है, तो उसके पीछे कारण भारत की घरेलू राजनीति में इसके इस्तेमाल की संभावना है। सच यह है कि जब देश में अगले आम चुनाव का माहौल बनने लगा है, तब विश्व भर के नेताओं की भारत में उपस्थिति को प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व की सफलता के रूप में पेश कर उसका चुनावी फायदा उठाने की रणनीति अपनाई गई है।"

डॉ.लेनिन यह भी कहते हैं, "जी-20 का सम्मेलन रोटेशन में मिला है। हैरानी की बात यह है कि भारतीय मीडिया सच पर परदा डालने की कोशिश करता नजर आ रहा है। फरवरी के आखिरी हफ्ते में बंगलुरू में जी-20 के वित्त मंत्रियों की बैठक हुई थी, जहां ऋण गोलमेज सम्मेलन का भी आयोजन किया गया था। इसका मकसद कर्ज संकट से जूझ रहे विकासशील देशों को राहत देने के उपायों पर विचार-विमर्श करना था। मजे की बात यह है कि बंगलुरू में हुई बैठकें कोई भी सार्थक उपाय ढूंढ पाने में सिरे से नाकाम रहीं। जी-20 के वित्त मंत्री किसी साझा बयान पर राजी नहीं हो सके। हमें लगता है कि जी-20 की उम्र अब पूरी हो चुकी है। विश्व की अर्थव्यवस्था के संचालन के लिए जिस संस्था का गठन किया गया था, उसका स्वरूप अब बुनियादी रूप से बदल गया है। भारत के अंदर जिस तरह से घृणा की राजनीति की जा रही है वह वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा के खिलाफ है। यूक्रेन और रूस की लड़ाई को रोक पाने में जी-20 के देश कोई गंभीर पहल करते नजर नहीं आ रहे हैं। यह सम्मेलन तो सिर्फ कास्टमेटिक सम्मेलन बनकर रह गया है।
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